Thursday, March 31, 2011

ख्व़ाइशे...

हजारों ख्वाइशे होती हैं 
हजारों सपने बुनतें हैं ...
एक मंजिल को पाने को हम
हज़ार काटें चूनतें हैं ....


मिलना ना मिलना किस्मत है
कभी  इन्सान की मशक्क़त है
पा कर खोना खो कर पाना 
तो सब का ही  का मुकद्दर है ...


पल दो पल की इन खुशियों को
समेट लो इन हाथों में 
कल क्या पता हो ना हो 
हम मंजिल की इन राहों पर...


यहीं तमन्ना है दिल की 
"कहकशा हो  सितारों का 
और सपनों का समागम हों...
यह  मंजिल इसी रस्ते पर हो.."

~भावना..










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