Wednesday, March 30, 2011

बस यादें ही कहलाता है....

तेरे क़दमों की आहट से ही
कुछ बंद दरवाज़े खुल जाते हैं 
बेजान पड़े  इन लम्हों को 
खुशियों के पल दे जाते हैं..

तू याद है , या फिर कोई गुमां ?
तू ख़्वाब है , या फिर कोई दुआ ?
तेरी एक आहट ही काफ़ी है
तू कभी यहाँ , तू कभी वहाँ ...

है मालूम  मुझे तुम , यादें हो
बीतें  हुए उन लम्हों की
लाते हो तुम मुस्कान कभी
दे जाते हो अश्कों की नमीं  कभी...

तेरा शुक्र अदा करती हूँ मैं
दिल की हर एक धड़कन से..
की तूने संजों कर रखा है 
गुज़रे पल के हर मंज़र  को..

जो जी गए हम, वो बीत गया
पर गुज़रा कल वापस आता है..
हर पल में खुद को दोहराता है
पर बस यादें ही कहलाता है... 

  
   ~ भावना..

2 comments:

  1. arey wah! hindi mein kaise likha?

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  2. change font ka option aaraha tha while writing...
    b/w plz ry reading it once atleast..:p khali hindi dekh ke khush ho gae..

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